देख लेने की ताक़त है किस में , सोंच पाने की फ़ुरसत किसे है
कोई झूठा नहीं सब हैं सच्चे आज़माने की फ़ुरसत किसे है
ग़म की मसरुफ़ियत के हवाले वक़्त को बुज़दिली ने किया है
सब को रोने की आदत लगी है मुस्कुराने की फ़ुरसत किसे है
आसमानों को छूने लगीं हैं मन्दिरों - मस्जिदों की मीनारें
हमने क्यों उस को दिल से निकाला ये बताने की फ़ुरसत किसे है
सब को जल्दी है सब अपनी- अपनी रोटियां सेंकना चाहते हैं
आग जो फैलती जा रही है वो बुझाने की फ़ुरसत किसे है
कोई झूठा नहीं सब हैं सच्चे आज़माने की फ़ुरसत किसे है
ग़म की मसरुफ़ियत के हवाले वक़्त को बुज़दिली ने किया है
सब को रोने की आदत लगी है मुस्कुराने की फ़ुरसत किसे है
आसमानों को छूने लगीं हैं मन्दिरों - मस्जिदों की मीनारें
हमने क्यों उस को दिल से निकाला ये बताने की फ़ुरसत किसे है
सब को जल्दी है सब अपनी- अपनी रोटियां सेंकना चाहते हैं
आग जो फैलती जा रही है वो बुझाने की फ़ुरसत किसे है